Monday, 13 June 2016

एक तरफ एन.सी.ई.आर.टी.और एस.आई.ई.आर.टी.की पिछले वर्षों में चल रही पुस्तकें हैं, जो आम लोगों के सपनो और संघर्षों से बच्चों का परिचय कराती हैं | ताकि आम गरीब बच्चे भी बड़े सपने देख सकें और उसके लिए मेहनत कर सकें | दूसरी ओर एस.आई.ई.आर.टी.की नई पुस्तकें, सत्ता में बैठे तानाशाओं के हितों को साधने का प्रयास करती नजर आती है | नई पुस्तकों का यह प्रयास स्पष्ट रूप में नजर आता है कि आम जनता बेवकूफ बनी रहे,तथाकथित, नकली साधु-संतों के प्रवचन सुनती रहें और पाप-पुण्य के फेर में पड़ी रहे..

  1. एन.सी.ई.आर.टी.-ई.वी.एस.की कक्षा 3,4,5 की पुस्तकों में आम लोगों के संघर्षो से बच्चे प्रभावित हो पाएं इस ऊद्देश्य के लिए लगभग छ: पाठों में आम लोगों की विशेष उपलब्धियों से बच्चों का परिचय कराया गया है | जैसे कि कक्षा चार के पाठ चार में अमृता की कहानी है जिसने राजस्थान के जोधपुर जिले में पेड़ों को बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी थी | इस कहानी से शुरू करके कक्षा 5 के पाठ 17 में अफसाना मंसूरी की कहानी है जो कि झुग्गी से निकल कर, बास्केटबाल के कोर्ट तक पहुँच जाती है |
  2. एस.आई.ई.आर.टी.की पिछले वर्ष चल रही,कक्षा 3,4,5 की पुस्तकों में, लगभग तीन पाठ हैं जिनके माध्यम से बच्चे कपड़ों का इतिहास,अंतरिक्ष यात्रा व पर्वतारोहण की यात्रा को समझते हुए, कल्पना  चावला,सुनीता विलियम व बछेन्द्री पाल, आदि से भी परिचित होते हैं | आम परिवारों के ऐसे व्यक्ति,  जैसे कि सुशील कुमार, योगेश्वर दत्त व गीता से परिचित होते हैं जो कि पहलवानी के दम पर पदक लेकर आए हैं |
  3. एस.आई.ई.आर.टी.की कक्षा 3,4,5 की नई पुस्तकों के तीन पाठों में बच्चों को नागार्जुन,भगिनि निवेदिता,महात्मा गांधी,बिरसामुण्डा,चरक,सुश्रुत,रानी दुर्गावती,वीर सावरकर,सरदार बल्लभ भाई पटेल,डा.विक्रम साराभाई,जीजा बाई,डा.भीमराव अम्बेडकर व प.मदन मोहन मालवीय के बारे में बड़ी ही धूर्तता से बच्चों को जानकारी दी जाती है | तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर, बच्चों को उपदेश दिए जाते हैं | एक तरफ गांधी जी का परिचय बहुत ही सतही ढंग से दिया जाता है और अंत में बच्चों को दी गई जानकारी को याद रख पाने के उद्देश्यों से पूछे जाने वाले प्रश्नों की तुलना में बच्चों को यह निर्देश दिया जता है कि वें पुस्तकालय से श्रावण कुमार की पुस्तक ढूंढे और पढ़ें | दूसरी तरफ ‘वीर सावरकर’ जिनके बारे में सभी को पता है कि आजादी के लिए किए गए संघर्ष के समय जब इन्हें जेल में डाल दिया गया था तब ‘वीर सावरकर जी’ अंग्रेजों से माफ़ी मांगकर, जेल से छूटकर, आ गए थे | पर इस तथ्य को छिपाते हुए, पाठ को ऐसे बुना गया है कि इन्हें आजादी का हीरो बताया गया है | तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए तथ्यों को बच्चे याद रख पाएँ, इस ऊद्देश्य के लिए प्रश्न भी बच्चों से किए गए हैं | जैसे कि वीर सावरकर ने विदेशी वस्तुओं की होली क्यों जलाई होगी? वीर सावरकर को वीर क्यों कहा गया?    

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