Thursday, 9 June 2016

समाजिक विज्ञान, कक्षा-8



सामाजिक विज्ञान की पुस्तक-2015 व 2016 दोनों पुस्तकों का अध्ययन व समीक्षा करने पर उभरे कुछ महत्त्वपूर्ण बिन्दू:-


  • दोनों पुस्तकों का अवलोकन करने पर पाया कि पूर्व में (2015 की ) कक्षा-8 की सामाजिक विज्ञान की पुस्तक के मुखपृष्ठ पर महात्मा गांधी, सुभाषचन्द्र बोस व भगत सिंह के चित्र अंकित थे वहीं 2016 की पुस्तक के मुखपृष्ठ से सुभाषचन्द्र बोस व भगत सिंह के चित्र हटा दिये गये। 
  • 2015 की पुस्तक के मुखपृष्ठ के पीछे वाले पृष्ठ पर बेटी बचाओं बेटी पढाओ के संदेश के साथ लिंग निर्धारण व कन्या भ्रुण हत्या की रोकथाम हेतु बने पी.सी. एण्ड पी.एन.डी.टी. एक्ट 1994 का सशक्त संदेश जन-जन तक पहुंचाने की दृष्टि से पुरा पेज दिया गया है वहींं 2016 में जारी पुस्तक के इस पृष्ठ पर इसे हटा दिया गया। अच्छा होता यदि परिर्वतन ही करना था तो और नये बने कानून जैसे पोकसो (Pocso) की जानकारी दी जानी चाहिए थी। 
  • 2016 की पुस्तक के प्राक्‍कथन में संवैधानिक मूल्य कह कर छोड दिया गया, संवैधानिक मूल्य जैसे जैण्डर, धर्म, जाति, भाषा, जन्म स्थान विविधता व विशेष आवश्‍यकता वाले बच्चों के प्रति संवेदनशीलता रखने जैसे वाक्यों को हटा दिया गया। 
  • 2016 की पुस्तक में अध्याय सूची में हमारा भारत, हमारे मौलिक अधिकार शीर्षक के माध्यम से संकीर्ण व संकुुचित मानसिकता का परिचय दिया गया है जबकि भारत का संविधान, नागरिकों के मौलिक अधिकार तो सबके लिए हैंं और व्यापक हैंं। इनके साथ हमारा-तुम्हारा या उनका जोड़़ने की आवश्‍यकता नहीं प्रतीत होती है। 
  • 2016 की सामाजिक विज्ञान कक्षा 8 की पुस्तक में दिये गये नक्षों (Maps) व पुस्तक के पन्नों के चारों ओर की किनारों पर इतने गहरे रंगो का इस्तेमाल किया गया है कि बच्चे आसानी से नहीं पढ़ सकते है। 
  • पेज 3 पर स्पष्ट किया जाना चाहिए कि भारत के 28 राज्य व 9 केन्द्र प्रशासित प्रदेश थे 2 जून 2014 को आन्ध्रप्रदेश के विभाजन के बाद तेलंगाना को 29 वाँँ राज्य बनाया गया। अब कुल 29 राज्य व 7 केन्द्र प्रशासित प्रदेश हैंं। 
  • पेज 58 पर बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं के अन्तर्गत लिंगानुपात दर्शाते हुये बाल लिंगानुपात को स्पष्ट रूप से नहीं दर्शाया गया। पेज 77 पर जहाँँ गिरता लिगांनुपात लिखा गया वहाँँ पर भी बाल-लिंगानुपात का आंकडा नहीं दर्शाया गया जबकि बाल-लिंगानुपात ही निरन्तर घटता रहा है न कि लिंगानुपात। लिंगानुपात पिछली तीन जनगणनाओं में बढा हुआ आ रहा है। 
  • पेज 59 पर शादियों के लिए बेटियों की कमी लिखना तथा उसे मात्र बेटी, मां, पत्नि के रूप में देखना लैगिंक भेद-भाव को बढ़ावा देता है। एक बेटी को शादी व उसे मां एवं पत्नी के रूप से हटा कर एक नागरिक के रूप में देखना चाहिए। बेटियों का जीवन केवल शादी के लिए ही नहीं अपितुु सभी क्षेत्रों में उनकी भूमिका को दर्शाया जाना चाहिए। ताकि सामाजिक सन्तुलन की ओर बच्चों का ध्यान आकर्षित किया जा सकें। 
  • पेज 91 पर प्रथम राष्ट्रपति के रूप में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का नाम दर्शाया गया लेकिन प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में जवाहरलाल नेहरू का नाम दर्शाने से परहेज किया गया। बच्चों को प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में जवाहरलाल नेहरू की जानकारी क्यों नहीं देना चाहते हैंं जबकि 2015 की पुस्तक में इनका नाम दर्शाया गया है। 
  • पेज 144 पर स्वतन्त्रता पूर्व विभिन्न शासकों द्वारा बनाये गये कानूनों को बताया गया लेकिन स्वतन्त्र भारत में बने कानूनों का जिक्र तक नहीं किया गया। यहाँँ तक कि 2015 की पुस्तक में सूचना का अधिकार कानून की जानकारी दी गई उसे भी 2016 की पुस्तक में हटा दिया गया। जबकि कुछ महत्त्वपूर्ण प्रगतिशील कानूनों के नाम बताये जाने चाहिए। जैसे सूचना का अधिकार कानून, पी.सी. एण्ड पी.एन.डी.टी. एक्ट, घरेलू हिंसा से महिला का संरक्षण अधिनियम 2005, बच्चों का यौन शोषण से संरक्षण अधिनियम, 2012, खाध सुरक्षा कानून, रोजगार गारण्टी कानून आदि। 


इस पुस्तक के अध्ययन, विश्‍लेषण व समीक्षा के आधार पर कहा जा सकता है कि इतिहास को तोड़-मरोड़ कर रखने, तथ्यों से अवगत नहीं कराने जैसी सकीर्ण व सकुचित तथा सामन्ती व पितृसतात्मक मानसिकता व विचारधारा बच्चों को क्यों परोसी जानी चाहिए ? क्यों नहीं व्यापक दायरे में मानवाअधिकार व मौलिक अधिकार तथा लैगिक संवेदनशीलता पर आधारित पाठयक्रम हो।

कक्षा की 8 की सामजिक विज्ञान 2016  की पुस्तक को सरसरी निगाह से देखने व कम समय में की गई समीक्षा मात्र से उभरे कुछ बिन्दुु ही यहाँँ  दिये गये हैंं। यदि और भी गहन अध्ययन किया जाए तो बहुत सी त्रुटियाँँ व भ्रामक सामग्री मिलेगी जो बच्चों को गलत सूचनाएँँ पहुँचाएगींं । इन्‍हें पढ़ने वाले बच्चे बड़े होकर सामन्य ज्ञान व अन्य परीक्षाओं में सफल होने योग्य नहीं बन पाएँँगे।

अतः तुरन्त प्रभाव से इस तरह की पुस्तक को रोका जाना चाहिए।

डॉ. लाडकुमारी जैन
प्रो. (से.) राजनिति विज्ञान
एवं पूर्व अध्यक्ष राज्य महिला आयोग

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