Wednesday, 8 June 2016

पर्यावरण अध्ययन की पुस्तको के बारे में

वर्तमान में SIERT द्वारा प्रकाशित राजस्थान की नई पाठ्यपुस्तको में जब हमने पर्यावरण अध्ययन की पुस्तको को देखा तो उसमें शुरुआत में शिक्षको के लिए लिखा गया है कि शिक्षक बच्चों के साथ बातचीत करते हुये जेण्डर संवेदनशीलता का ध्यान अवश्‍य रखें।

लेकिन जब पुस्तको को देखा तो स्वयं पुस्तक तैयार करने वालों ने ही इस बात का ध्यान नहीं रखा। जिसके काफी उदाहरण इस प्रकार से हैं -
  1. अधिकतर चित्रो में महिलाएँ ही पानी भरने जा रही है , कुएँ से पानी खींच रही हैं  ,हैण्डपम्प से पानी खींच रही है ,कपडे धो रही हैं ,खाना बना रही हैं बर्तन धो रही हैं। पुरुषों को अधिकतर पानी के साथ इस प्रकार के काम करते दिखाया गया है जैसे : नहाना , दाँत साफ करना  पानी पीना। (कक्षा 3 की पुस्तक में पृष्‍ठ 55)
  2.   पुस्तक में दिये गये चित्रों में भी स्‍पष्‍टता नजर नहीं आती है : कक्षा 3 की पुस्तक में पृष्‍ठ 53 पर एक चित्र दिया गया है दूर-दूर से पानी लाते लोग लेकिन चित्र इस बात को नहीं कह पा रहा है कि लोग पानी दूर से ला रहे हैं या नजदीक से ला रहे हैं।
  3. कक्षा 3 मे ही भोजन सम्बन्धी अच्छी आदतें पाठ में रानी का परिवार जहाँ खाना खा रहा है उसमें एक मुख्य कुर्सी पर दादाजी बैठे हुये हैं। मां, बेटी एक तरफ व बेटा, पिता एक तरफ बैठे हैं।
  4. खाना तैयार करने में रानी की माँ व रानी व्यवस्त हैं, भाई राजू बाहर खेलने गया है। रानी के पिता के आने पर ही खाना खाया गया है ।
  5. हिन्दूत्व विचार धारा को जोर-शोर से उभारा गया है । जैसे ‘नमामि गंगे प्रोजैक्ट’, (कक्षा 4 की पुस्‍तक में पृष्‍ठ 58)। पहली नज़र में यह भारत सरकार के गंगा संरक्षण के एक कार्यक्रम की जानकारी मात्र लगती है किन्‍तु किताब में जिस तरह  पानी को अधिकतर पवित्रता (हिन्‍दु पवित्रता बोध) के साथ दिखाया गया है उस रोशनी में इसे देखें तो इसमें समस्‍या नज़र आती है। अच्छे काम से पुण्य मिलता है। इस प्रकार की मिथ बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विकसित करने में बाधा उत्पन्न करते हैं । महात्माओं का काफी बोलबाला रहा है। किताबो में आये अधिकतर नाम हिन्दू नाम हैं।
  6. बच्चों को स्वयं करके देखने के अवसर बहुत कम हैं।
  7. प्रत्येक पाठ में दिया गया है कि शिक्षक इन पर चर्चा करे। लेकिन बच्चों को स्वयं पढ़ने के लिए बहुत कुछ नहीं है जिससे की वे चर्चा में भाग ले सकें।


प्रस्‍तुतकर्ता – दिगंतर शिक्षक समूह


नोट : यह विश्‍लेषण दिगंतर शिक्षकों के समूह द्वारा ग्रीष्‍मकालीन कार्यशाला के दौरान किया गया है 

1 comment:

  1. दिगंतर के अध्‍यापकोंं से इससे गहरा व व्‍यापक विश्‍लेेषण किए जाने की उम्‍मीद रखी जाती है। जिन नतीजों पर वे पहुंंचे हैंं उसका उदाहरण सहित कारण दें तो ज्‍यादा बेहतर रहेगा।

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